सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को Live-in Relationship के रजिस्ट्रेशन को जरूरी करने की मांग वाली एक याचिका को खारिज कर दिया और सवाल किया कि केंद्र सरकार इस मामले में क्या करेगी। Chief Justice DY Chandrachud की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता वकील ममता रानी से पूछा कि ‘क्या वह इन लोगों की सुरक्षा को बढ़ावा देना चाहती हैं या चाहती हैं कि वे Live-in Relationship में न आएं!’ CJI DY Chandrachud इस याचिका से काफी नाराज दिखे। उन्होंने याचिका को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि लोग अदालत में कुछ भी लेकर चले आते हैं। उन्होंने कहा कि वे अब जरूरत पड़ने पर ऐसे मामलों पर जुर्माना लगाना शुरू कर देंगे।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस DY Chandrachud ने कहा कि ‘केंद्र सरकार को Live-in Relationship में रहने वाले लोगों से क्या लेना-देना? आप चाहती हैं कि हर Live-in Relationship रजिस्टर्ड हो? क्या आप इन लोगों की देखभाल या सुरक्षा को बढ़ावा देने या उन्हें रोकने की कोशिश कर रही हैं? ये सब अनर्गल विचार हैं, जिन्हें आप चाहती हैं कि अदालत लागू करे।’ जबकि वकील ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ता की मंशा है कि Live-in Relationship में रहने वालों की सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए उनके रिश्ते को रजिस्टर्ड किया जाए।
वकील ममता रानी ने एक याचिका दायर कर Live-in Relationship के पंजीकरण के लिए नियम बनाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की थी। इसमें लिव-इन पार्टनरों द्वारा कथित रूप से किए गए बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों में बढ़ोतरी का हवाला दिया गया था। याचिका में श्रद्धा वाकर जैसे हाल के मामलों का जिक्र था, जिसकी live in partner आफताब पूनावाला ने हत्या की थी। याचिका में ऐसे रिलेशनशिप के रजिस्ट्रेशन के लिए नियम और दिशानिर्देश तैयार करने की भी मांग की गई थी।
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