इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर की एक Metropolitan Magistrate के साथ महाराजगंज में तैनाती के दौरान फेसबुक पर आपत्तिजनक संदेश लिखने व लगातार मैसेज भेजकर परेशान करने वाले वकील अभय प्रताप की जमानत निरस्त कर दी है और उसे अदालत में समर्पण करने का निर्देश दिया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने न्यायिक अधिकारी को मानसिक प्रताड़ना देकर न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के आरोपी वकील अभय प्रताप के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही करने का भी आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि आपत्तिजनक मैसेज भेजकर न्यायिक अधिकारी के मन में भय पैदा कर किया गया। इस स्थिति में कोई भी न्यायिक कार्य नहीं कर सकता। जीरो टालरेंस की नीति अपनाते हुए ऐसे मामले से सख्ती से निपटना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने Metropolitan Magistrate की अर्जी पर दिया है।
याची Magistrate ने खुद की बहस
मालूम हो कि महाराजगंज अदालत के वकील अभय प्रताप ने वहीं पर न्यायिक Magistrate के पद पर तैनात याची के खिलाफ प्रेम दर्शाने जैसे तमाम आपत्तिजनक संदेश फेसबुक पर डाले और काफी परेशान किया तो याची ने कोतवाली में 11 नवंबर 22 को एफआईआर दर्ज कराई। उसे 23 नवंबर को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। किंतु सत्र अदालत ने 17 दिसंबर 22 को जमानत पर रिहा कर दिया। जिसे निरस्त करने के लिए याची Magistrate ने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल कर स्वयं बहस की और कहा कि उसकी शादी में ऐसे संदेश खलल डाल कर उसके वैवाहिक जीवन को बर्बाद कर सकते हैं। इसलिए जमानत निरस्त की जाए।
निचली अदालत ने विवेक का सही इस्तेमाल नहीं किया
कोर्ट ने कहा यह सामान्य मामले से अलग मामला है। सत्र अदालत ने जमानत स्वीकार करते समय स्थिति का सही आकलन नहीं किया। न्यायिक विवेक का सही इस्तेमाल नहीं किया। अपराध में सात साल की सजा हो सकती है। एक न्यायिक अधिकारी को परेशान किया गया। भय पैदा किया। ऐसी स्थिति में किसी से न्यायिक कार्य करने की उम्मीद नहीं की जा सकती।
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