दिल्ली में हुए बरसों पहले हुए सिख-विरोधी दंगे से संबंधित एक मामले में 12 आरोपियों को हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था। लेकिन अब इन आरोपियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील को मंजूरी दे दी है। बता दें कि पश्चिमी दिल्ली के नागलोई इलाके में हुए इस दंगे में 8 लोगों की हत्या की गई थी और एक शख्स घायल भी हुए थे। राज निवास ने बताया कि गृह मंत्रालय की तरफ से शीर्ष अदालत में याचिका दायर करने को लेकर एलजी से सिफारिश की गई थी। इसमें इसी साल 9 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाए जाने के खिलाफ याचिका दायर करने की अनुमति मांगी गई थी।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 29 अप्रैल, 1995 को ट्रायल कोर्ट द्वारा इस मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ अपील करने में 27 साल की देरी क्यों हई इसे लेकर कुछ नहीं बताया गया और जो ग्राउंड स्टेट ने बताया है वो तर्कसंगत नहीं है। एलजी के पास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर करने को लेकर जिस सिफारिश को मंजूर किया है उसमें कहा गया है कि अदालत ने केस के गुणदोष नहीं देखे और सिर्फ अपील दायर करने में अत्यधिक देरी होने के ग्राउंड पर याचिका खारिज कर दी। इससे यह भी कहा गया है कि 11 जनवरी 2018 को एक रिट याचिका S Gurlad Singh Kahlon Vs Union of India & ors पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम ने 1984 के दंगों से जुड़ी 186 केसों में आगे की जांच के लिए SIT बनाने का आदेश दिया था और यह केस इन्हीं 186 केसों का हिस्सा है। अदालत के इस आदेश के बाद जस्टिस (रिटायर)एसएन ढिंगरा और आईपीएस अधिकारी के नेतृत्व में सिख दंगों से जुड़े केस को मॉनिटर करने के लिए एसआईटी बनाई गई थी। 15 अप्रैल, 2019 को एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
यह 12 आरोपी हुए थे बरी
इस केस में जिन 12 आरोपियों को अदालत ने बरी किया है उनमें - मैकाले राम, रमेश चंद्र शर्मा, बिशन दत्त शर्मा, देस राज गोयल, अनर सिंह, जगदीश प्रसाद शर्मा, महावीर सिंह, बालकिशन, धर्मपाल, ओम पाल चौहान, ज्ञान प्रसाद और वेद प्रकाश शामिल हैं। जो लोग मारे गए थे उनमें - अवतार सिंह, जागीर सिंह, दर्शन सिंह, कुलवंत सिंह, बालदेव सिंह, श्रवण सिंह, बालविंदर सिंह और हरचरण सिंह शामिल हैं। इन सभी के अलावा धर्मेंद्र सिंह इस हिंसा में घायल हुए थे।
बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दंगा भड़क उठा था। साल 1984 में 31 अक्टूबर और नवंबर के बीच जमकर दंगे हुए थे। 1 नवंबर की सुबह नागलोई के अमर कॉलोनी में आरोपियों के एक ग्रुप ने 8 लोगों की हत्या कर दी थी। इस कत्ले-ए-आम के बाद पीड़ित परिवार के सदस्य जांच पड़ताल के दौरान जस्टिस रंगनाथ मिश्रा कमिशन के सामने पेश हुए थे और उन्होंने एफेडेविट भी दिया था जिसके आधार पर FIR दर्ज की गई थी।
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